बरसात की सुबह थी और मेघदेवता कभी तेज तो कभी मद्धम मुस्कान बिखेर रहे थे और उस बरसात की बूंदो के बीच कोई ऐसा भी था जो अपनी नम पलकों को छुपा रहा था की कहीं कोई देख कर कमजोर न समझ ले। कभी तो बारिश की बूंदे हौसला तोड़ने का भरपूर प्रयास करती पर अगले पग की तैयारी कर चूका वो परिंदा भी पीछे मुड़ के देखने को तैयार नहीं था फिर भले दुनिया समाज निष्ठुर कहे चाहे ताने मारे पर अब आगे बढ़ते जाना है यही प्रण लिए मन मे वो चल पडा।
हौसलों को उड़ान मिली और क्यों न मिले क्युकी जब आप कोई प्रण ले लेते हो तो प्रकृति आपका भरपूर साथ देती है। बस फिर और क्या था, रुंधे गले से उसने बड़ो का आशीर्वाद लिया ,छोटो को प्यार से पुचकारा और दोस्तों से गले लग के निकल पड़ा एक नए सफर पर छलांग के साथ आसमान नापने।
आशा है की ये आसमान हमेशा परिंदे को प्यार देगा और नयी ऊंचाइयों पर लेकर जाएगा।
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