Friday, March 19, 2021

ये निगोड़ा फिर आ गया

खबर है की निगोडा फिर जाग गया है और फिर खाना पीना और नष्ट करना शुरू कर दिया है और अगर ये सच है तो भैया मामला खतरनाक है क्युकी ये फिर उनको ही सताएगा जो पहले से पीड़ित और प्रताड़ित है क्युकी मजबूत दीवारे कोई नहीं ढहाता और सब उजड़ी दीवारों से ही ईंटे चुन ले जाते है तो इस बार फिर वही लोग परेशांन होंगे जो पिछली बार पैदल अपने घर पहुंचे थे। आशा करता हु की आप समझ गए होंगे की किस निगोड़े की बात हो रही है क्युकी अगर बस इशारे इशारे में ही सरकार बदल जाती है तो ये नाम क्या चीज है जी। 


तकरीबन साल भर की कमरतोड़ मेहनत के बाद वैक्सीन नाम की संजीवनी जनता के बीच आयी थी और अब बस ऐसा लगने लगा था कि WFH का सुख ख़तम हो जायेगा और फिर ऑफिस में फॉर्मल कपड़ो में जिंदगी वापस लौट जाएगी पर बाकी सब ठीक हो जायेगा और फिर भारत उठ का दुगनी शक्ति के साथ चलेगा लेकिन इस देश में सरकारों की कुछ अलग ही इच्छा है। कोविड की आकंड़ो को आप देखे तो आपको समझ में आएगा की किस गति से इस देश ने रिकवर किया और अरब की आबादी वाला देश मात्र कुछ हजार के आकड़ो पर रुक गया पर न जाने ये रेटिंग एजेंसियो को क्या सूझी की भारत की प्रगति की उम्मीद विश्व में सबसे तेज का अनुमान लगा दिया और यकीं माने ये आकड़े आम आदमी को समझ आते की उसके पहले फिर एक बार आम के मौसम के पहले आम आदमी को बाँधने की तैयारी चालू हो गयी। यकींन मानिये इतना तेज तो सॉफ्टवेयर के पैच भी मार्किट में नहीं आते जितना तेज कोविड के वेरिएंट आ रहे है मानो कोरोना कहीं यज्ञ कर के अपनी शक्तियों को बढ़ाता जा रहा है और देश में कन्टेनमेंट जोन फिर बढ़ते जा रहे है जिनको की देख के लग रहा है कि आप देश में जिनको शिकायत नहीं आयी है उनको अलग क्वारंटाइन करना पड़ेगा ताकि इंसानियत का बीज बचा रहे। 


इस कोरोना में वैसे तो दुनिया निपट गयी लेकिन कुछ नहीं निपटा तो वो था अनाप-शनाप बयानबाजी करने वाले नेता और WHO का कोई सदस्य,असली दुनिया के नकली सितारे और लपरझंडिस लोग।  यहाँ हालत ये है की जनता घर से बाहर नहीं निकलती है और फिर भी पीड़ित हो जाती है और बड़े बड़े फिल्म स्टार, नेता, धाँधलीबाज और चोर उचक्के जो की दिन भर धड़ल्ले से लोगो और प्रशाषन की आँखों मे धूल डालते घूमते है उनको कुछ नहीं होता है। कभी कभी तो लगता है की ये लोग जरूर उस समय किसी न किसी अवतार में मंदराचल पर्वत मंथन के समय अमृत पान कर गए थे और अजर अमर का सार्टिफिकेट माथे पे चिपका आये थे। 


भारत में कोरोना कई प्रकार के रंग रूप में हाजिर है और कई बार तो लगता है की मनमाना काम करता है जैसे की अगर कही किसी बड़े फिल्म स्टार की शूटिंग या पार्टी चल रही है तो बढ़िया कपड़ो के अभाव में वह नहीं जाता और अगर किसी गरीब की शादी, मंगनी, मैयत या जन्मदिन का कार्यक्रम हो तो चालान की पुस्तक लेकर पहुंच जाता है और जम कर फाइन वसुलवाता है। ठीक इसी तरह अगर किसी राजनेता की चुनावी रैली हो तो न्यूट्रल होने के कारण नहीं जाता पर कही भी भक्ति भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम में संगीत प्रेमी होने के कारण पहुंच जाता है। कई बार तो ऐसे लगता है की प्राइवेट ऑटो, टैक्सी और बसों में सवार करना इसे बहुत पसंद है क्युकी वह २ से अधिक की परमिशन नहीं है पर सरकारी बसों में भीड़ से घबराता है। 


डर तो भैया हमें भी बहुत लगता है इसीलिए हम तो दूध भी लाने जाते है तो मास्क नहीं छोड़ते पर पडोसी अंकल को जरा भी डर नहीं लगता जो की दिन भर बिना मास्क के गलियां नापते चलते है और इस तरीके से तो मुझे कई बार ये भी लगता है की ये धर्म स्पेसिफिक भी है क्यूंकि उनको नहीं धरता पर हमको आँखे चमकाता है और अगर ये सच है तो यकीं मानिये इस मर्ज का उपाय बनाने में तो ये पीढ़ी खाप जाएगी क्यूंकि जब तक इस देश में जिम्मेदारी और जवाबदारी पैर नहीं जमायेगी तब तक कोरोना की जड़ें नहीं हिलेंगी और ये कोढ़ इस देश को कुरेद के कमजोर बना देगा। 


आखिरी शब्दों में बस यही कहूंगा कि सबको जब तक अपनी अपनी जिम्मेदारी समझ नहीं आयेगई तब तक भैया मास्क न उतारियेगा। 

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