Wednesday, April 7, 2021

मुख़्तार अंसारी की अंतिम रोड यात्रा

मुख़्तार अंसारी, आज ये नाम सोशल मीडिया होने के कारण हर किसी के जबान पर है और न्यूज़ चैनल वाले तो इसे ऐसे भुना रहे हो मानो मदर टेरेसा के बाद इसी का नाम हो लेकिन यकीं माने तो इस देश और मीडिया हाउस के लिए इससे अधिक शर्म की बात हो ही नहीं सकती की वो लोग पूर्वांचल के ऐसे बाहुबली गुंडे को फेमस कर रहे है जिसका की नाम लेना भी पाप होन चाहिए। 

वैसे आजकल के डिजिटल ज़माने में सब कुछ इंटरनेट पर उपलब्ध है बस जरुरत है तो बस ढूंढ़ने की और बस एक क्लिक में सारा काला चिठ्ठा खुल कर सामने आ जायेगा हालॉकि कई लोग इसे अपने हिसाब से मसीहा और हीरो की तरह भी लिखेंगे क्युकी वो उनका पेशा है और उससे ऊपर उनसे उम्मीद करने भी नहीं चाहिए। एक न्यूट्रल लेखक की नजर से देखे तो पूर्वांचल के नामी बदमाशों मुन्ना बजरंगी, मुख़्तार अंसारी और न जाने कई नाम जिनकी सूची आप समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी के विधायक और पूर्व विधायक में आसानी से पा सकते है और इनकी कारस्तानियाँ पढ़ सकते हैं । पूर्वांचल में मुख़्तार अंसारी एक अलग पहचान के साथ आगे बढ़ा और उसने वसूली और रंगदारी के लिए सफ़ेद कोट वाले धरती के भगवानो को निशान बनाया। 

गाजीपुर में खानदानी बिज़नेस पॉलिटिक्स होने के साथ साथ मुख्यतः अगर आप मऊ जिले के लोगो से इसके बारे में पूछेंगे तो बड़ी ही आसानी से कोई भी इसके किस्से आराम से पढ़ देगा क्युकी गुंडागर्दी के साथ साथ डाक्टरों से रंगदारी वसूलने का जो ताज इसके सर पे है वो शायद कोई और न कमा पाएगा। अगर सरल शंब्दो में कहे तो पाप का घड़ा सर पर ले कर घूम रहा है बस देखना ये है की वर्तमान सरकार के मुखिया इस घड़े को फोड़ दहीहंडी वाली ख़ुशी दे पाते है या नहीं। 

बात २०१० की है और मुझे ठीक से याद है की मऊ में अपनी माँ के आपरेशन के सिलसिले में डाक्टर पी एल गुप्ता नर्सिंग होम में था क्युकी अगर पूर्वी यूपी में बनारस के बाद कोई जिला है जहा बेहरतीन मेडिकल फैसिलिटी है तो वह मऊ ही है और वही रंगदारी का गढ़ है मुख़्तार अंसारी का जो की क्लिनिक में गुंडे भेज भेज कर वसूली करवाता था और न मिलने पर गोलीबारी हो जाना बहुत ही आम बात थी।  प्रदेश सरकार का सम्पूर्ण समर्थन और बड़े बड़े आकाओ के मूकदर्शिता पर जितना हो सकता था उससे अधिक उत्पात मच रहा था। एक दिन की बात है की काफी देर रात में नर्सिंग होम से कुछ १००-२०० मीटर की दुरी पर काफी शोरगुल था ऐसा साफ़ लग रहा था मानो की कही गुंडई अपनी चरम पर हो हालांकि गार्ड ने मैं गेट बंद रखा था और अनजान शहर था इसीलिए बहुत से लोग मेरी ही तरह अनजान बन कर सो गए पर मन में कही तो बेचैनी थी रात की घटना जानने की इसीलिए सुबह होते ही यहाँ वहा पूछ पड़ताल शुरू की तो पता चला कि रात को एक नर्सिंग होम में रंगदारी न देने पर बवाल हुवा था और नर्सिंग होम पूरी तरह से तोड़ दिया गया था और फायरिंग भी हुयी हालांकि कोई मरा या नहीं ये किसी को भी जानकारी नहीं थी क्युकी जिस प्रदेश का बाहुबली बिधायक जेल में सलाखों के पीछे से पूरा जिला चला रहा हो वहा पुलिस एक लाचार मुलाजिम से अधिक कुछ भी नहीं सो सकती। समस्या ये है वही लाचार मुलाजिम किसी सामान्य जन को इस प्रकार कूट देता था की क्या कहना पर किसी बाहुबली की करतूत के आगे विवश और लाचार था। दोपहर हुयी तो जिले के राजनीती से जुड़े रिश्तेदार इस उम्मीद से मुख्य डाक्टर गुप्ता से मिले ताकि  राजनीतिक शख्शियत दिखा कर कुछ रियायत ले लें पर यकीन मानिये जिस प्रकार से डॉक्टर साहब जवाब देते गए और रंगदारी और अपनी लाचारी के बारे में बताया तो रियायत की बात करने की रिश्तेदारों की हिम्मत ही न हुयी और दबे पैर गुप्ता जी को उनको नोबेल प्रयास की बधाई देते हुए उनको वहां से निकलना पड़ा। 

मै इतना तो जरूर जानता हूँ की इस देश में बहुत से ऐसे लोग है जो अभी भी मुख़्तार अंसारी की पैरवी करने आगे आएंगे और कई लोग इसे धरम विशेष से भी जोड़ेंगे लेकिन अगर आपके अंदर इंसानियत अभी भी जिन्दा है तो कभी २००५ में हुई स्व. कृष्णानद राय की निर्मम हत्या के बारे में पढ़ लीजियेगा ताकि आपको भी एह्साह हो जाये की कैसे कानून को जूतों की नोक पर रख का उत्तर प्रदेश में गुंडों को पाला और पोसा गया और कई बार तो इनको विधानसभा और लोकसभा तक में भेजा गया जिससे की इनको इनकी कारस्तानी का उपयुक्त उपहार मिलता रहे। आपको यह भी जानना जरुरी है की कैसे एक जनप्रतिनिधि की दोपहर में घेर कर एक-४७ की ५०० राउंड गोलियो से छलनी कर के गुंडागर्दी की नयी मिसाल साबित की जाती रही है और सर पर लाल टोपी पहने साईकिल और हाथी से चलने का ढोंग करने वाले इनपे केस चलाने वालो पर दबाव बनाते रहे है और दुनिया को लोहिया और समाजवाद की दुहाई देते रहे है। समस्या यह है कि "जस राजा तस प्रजा" के तर्ज पर इनके जातिवादी समर्थक इनको सर पर बैठाते रहे है। इस घटना की पुष्टि के लिए कुछ लिंक शेयर कर रहा हु ताकि मेरी न सही पर अखबार और विकिपीडिया पर इनकी कारस्तानी के किस्से पढ़ सके और समझने की कोशीश मात्र करे की इतिहास बहुत काला है। 


१) https://en.wikipedia.org/wiki/Krishnanand_Rai

२) https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/others/bjp-mla-krishnanand-rai-murder-case-when-7-dead-bodies-were-laid-together-500-rounds-were-fired/articleshow/81907756.cms

३) https://www.timesnownews.com/columns/article/who-killed-mla-krishnanand-rai-uttar-pradesh-mukhtar-ansari-munna-bajrangi-up-police/460847


आज ये बात इसिलिये लिख डाली क्यूंकि आज के दिन (अप्रैल ६ , २०२१ ) को  अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश लाया जा रहा है ताकि धागा कायदे से खोला जाए लेकिन जिस प्रकार मीडिया की बेचैनी नजर आ रही है उसके क्या कहने। कभी कभी पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमतों पर पूरा प्राइम टाइम चला देने वाले आज उसे अपने चीफ एडिटर से अभी अधिक भाव देते नजर आ रहे है और यूपी पुलिस की गाड़ियों के पीछे ऐसे चल रहे है मानो मुख़्तार के ढकार को भी कवर करने की कोशिश में है। हालांकि उनकी इस फिजूल डीजल खर्ची पर हमें कोई कष्ट नहीं पर कष्ट इस बात का है कि जो लोग इसे लोकतंत्र और मीडिया की आजादी कहते है ये घटना उनके मुँह पर एक जोरदार तमाचे और कालिख से कम कुछ नहीं और सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है की लोग ऐसी बेफजूल की न्यूज़ देख कर इनकी TRP भी बढ़ा रहे है जिससे इनके इस घटिया प्रयास को बल मिल रहा है। 

हालांकि मेरा मानना है की मुख़्तार मियाँ की पंजाब से उत्तर प्रदेश तक की यात्रा सफल रहेगी पर हां साथ ही मुख्तार मियाँ को मुन्ना बजरंगी की मौत के किस्से जेल में जरुर सुनने और पढ़ने चाहिए। 

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